Monday 8 June 2015

Jawab jab Kavita hai

ये कहानी तो हम सबकी है
वक्त के हाथ मे जो थपकी है
कूटती पीटती भव सागर से निकालती है
साफ सुथरे हो फिर धूप मे लटकते हैं
मेल निकल जाता है
बस खैर अपने दिल की करनी है
ये रहे तब तक जब तक है जान
इसी से जुड़े ओ निकलते सारे ताने बाने हैं
उसने जो दिया वो सब उसका है
बस इस जहाँ में ये दिल अपना है
दिलो की झील को जोडते रहो
बहुत बड़े महासागर की गाथा है
ये दिल सारी यात्रा कराता है

2.जिंदगी और कुछ नहीं,
कबाड़ की रीसायकलिंग है.
जिस जनम में पहचानो वहीं मुक्ति है,
वर्ना कई जनम लग जाते और
इस ज्ञान के बिना व्यर्थ हो जाती भक्ति है.
ये है सुबह की अजान,
ज्ञान की पहली किरण को सलाम.

3.गनीमत थी की किश्ती रहते ख्वाब की हकीकत खुल गयी,
हमने बहना सीख लिया जब किश्ती पानी में घुल गयी,
क्या साथ देते दुनयावी सहारे इस सफर में,
हमे तो अनन्त सागर की पतवार मिल गयी,
जारी रहे सफर सागरों का
क्या पता मंज़िल मिले
या सफर ही जिंदगी का हासिल रहे

4.ये क्षण जिंदगी में बार बार नहीं आते
आती हैं याद यार बार बार हैं आती
यादो के घर दिल को दिल से मिला दो
बहने दो उन जज़्बातो को जो बाहर नहीं

5,सोचा था तुम भी अकेले हो जिंदगी
और में भी यहाँ अजनबी
मिल कर चलेंगे तो जिंदगी गुलज़ार होगी
पर तुम्हे तो कुछ और ही तलाश थी
जो  तुम्हे मिला या उसकी आस में
मुझसे मुह फेरा
मगर  मैंने  ;अकेला    चलना सीख लिया
सफर तेरे बिना ही सही
रहबर तू भी और दुनिया भी
आया था अकेला जाऊंगा भी अकेला ही
इन्साफ कभी होगा, नहीं इसकी भी आस
वो मंज़िले कहाँ हैं
कोई मुझे बता दे
है इंसान को जिसकी तलाश
 एक राह है जो दिल से निकलती है
जिंदगी मेरे दोस्त
एक आह है जो दिल से निकलती है
सब सूख कर जम जाता है
फिर  फिर  पिघलता है
रुके लम्हे बह जाते है
जिसे हम रवानी कहते है
और अपनी जिंदगी की कहानी कहते है

 

Sunday 7 June 2015

sarathi

मूल्य विहीन मानव इच्छाओँ के सागर में खोता है

इतना  दिशाविहीन हल्का भी की सदेव कीमतों में  दबा  रहता है

 जीवन रथ की यात्रा में  सारथी है आत्मा

कई जन्मो के परिष्करण ओ भटकाव की गाथा

क्या ये जन्म भी यूँ ही अनजाना रह जाएगा

सारथी मूक ,सुप्त    ओ निष्क्रिय रह जायेगा

रथ दिशाविहीन अनजान डोरियों द्वारा चलता रहेगा

इस सारथी की उस सारथी को पुकार

निरंतर रहे उर्जा ओ प्रकाश अपरम्पार

रहे सारथी जागृत मिलता रहे दिशाज्ञान