Jeevan ki khoj
Sunday 10 April 2016
ओझल पूर्णता
अपने अपने जहां में बसे
अपनी अपनी ज़मीन पर खड़े
वज़ूद की तलाश मे सफर किये
ताउम्र इस एहसास मे सज़दा किये
कि ये वो मंज़िल तो नही
कि जहा सफर खत्म हो...
आरजुएं मिटे और रूह का क़र्ज़ अदा हो
तेरे जहां मे वो जहां कहां ढूंढे
कि कर्ज़दार खुद के फलक पर मुकम्मल हो।
Saturday 9 April 2016
फरेब को दिल मे बसाया तो दहशत है
फरेब को दिल से हटाया तो जिंदगी है
जिंदगी जो जन्म की पहली मुस्कराहट है
मुस्कराहट जो दर्द को भूल जाने ,पी जाने
स्वीकार करने की अभिव्यक्ति है
जो फरेब से अनजान है
जिंदगी की पहचान है
बेशक जिंदगी इक फरेब है
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