मूल्य विहीन मानव इच्छाओँ के सागर में खोता है
इतना दिशाविहीन हल्का भी की सदेव कीमतों में दबा रहता है
जीवन रथ की यात्रा में सारथी है आत्मा
कई जन्मो के परिष्करण ओ भटकाव की गाथा
क्या ये जन्म भी यूँ ही अनजाना रह जाएगा
सारथी मूक ,सुप्त ओ निष्क्रिय रह जायेगा
रथ दिशाविहीन अनजान डोरियों द्वारा चलता रहेगा
इस सारथी की उस सारथी को पुकार
निरंतर रहे उर्जा ओ प्रकाश अपरम्पार
रहे सारथी जागृत मिलता रहे दिशाज्ञान
इतना दिशाविहीन हल्का भी की सदेव कीमतों में दबा रहता है
जीवन रथ की यात्रा में सारथी है आत्मा
कई जन्मो के परिष्करण ओ भटकाव की गाथा
क्या ये जन्म भी यूँ ही अनजाना रह जाएगा
सारथी मूक ,सुप्त ओ निष्क्रिय रह जायेगा
रथ दिशाविहीन अनजान डोरियों द्वारा चलता रहेगा
इस सारथी की उस सारथी को पुकार
निरंतर रहे उर्जा ओ प्रकाश अपरम्पार
रहे सारथी जागृत मिलता रहे दिशाज्ञान
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