Wednesday 28 December 2016


जिन्दगी ए जिन्दगी

उसमे और कुछ भावुक बुद्धिजीवि लोगो की सोच मे
इतना ही फर्क था
कि वो सोचते थे
कि लोग जीते कैसे हैं
ओर वो सोचता था कि
लोग जीते क्यो हैं
' कैसे' की तरफ उसका द्य्यान नही था
क्योकि सुधार मुमकिन न था
क्योकि सुधार लोकतंत्र चुनता है
' क्यो' की तरफ उनका भाव न था
क्योकि जवाबो के बिना सवाल कैसे
वो जिन्दगी की कहानी कहते रहे
वो जिन्दगी ढूंढता रहा
वो जी रहे थे,
 जब वो सोचता  है   कि
मौत कैसी होनी चाहिये,
अक्सआता है।
हर हाल मै जिन्दादिल,
. . . . .
पर उन्हे मौत से नफरत है। ।
. . . . .

Sunday 7 August 2016

अात्मा से वार्ता.
जारी.
जन्म दिन की शुभकामनाओं के साथ🌹💐🌺🌹💐🐾❤🏂

तेरे द्वारा  प्राणजनित भव सागर,
कालचक्र मे नौका की पतवार
हर लहर का तुझसे अकंन
हर भंवर से तेरा पार
प्राण जनित भव सागर मे
मेरी नौका कि पतवार,
तेरे दर्शन दीनो मे है
हर इमां तेराआकार
तुझ को झुठलाते  है अहं अक्सर
अोोर निर्लिप्त् रहता तेराआवाहन,
किस का हाथ पकड़ कर ?
सम्पूर्ण जीवन यात्रा मे अविचल,
स्वयं मे पूर्ण भव का गान
कण मे गिरि का मान
क्षण मे पूर्ण युग का भान,
एसा तेरा साक्षात्कार,
रहे विभूषित सदा
विनिर्दष्ट संकेतो का संचार
हर दिन  जन्म दिन अनुभव हो
हर पल जुड़े हो तुझसे तार🙏🌹💐❤
आत्मा तू कहां है
मुझे हमेशा तेरी याद रहती है
अपार दुखों मे भी एक अनदेखा सहारा रहता है
तेरे दर्पण मे सदैव खुद को सवांरा करता हु
फिर भी क्यों धूमिल सा रहता हूं
ये कर्मो की धूल है या
मै तुझको न समझा
मेरी समझ की धूल?
सदैव तेरेै एहसास मै जिया
मैने खुद को तेरी दीवारों मे
बन्दी किया,
न मिला सिला बन्दगी का
ना मिला दीदार जिन्दगी का
ये मेरी समझ की धूल है
या मेरी कोइ भूल है
 तेरे साथ मेरा रहता सदा व्यवहार है
पर फिर भी क्यों रहती सदा दीवार है?

Happy friend ship Day🌹
hope enjoying friendship with life
do honour it
do respect it
love it
feel it
hold it
don't think to escape ever
have faith on this
have faith in you
you and all relations in your life
may florish
seed of empathy care ,humility.....blossom🌹💐

Tuesday 12 July 2016

पलो के साथ अहसास
क्षणों के संग यादें
बातों के पीछे पहलू
पर्तो मे छिपा सच होता है,पर.
बड़ा तेज रप्तार ओ खुदमुख्तार
चल रहा जिन्दगी का व्यापार
कि बातें नहीं मुकम्मल
 टुकड़ो मे बातें या बातों के टुकड़े  हैं,
पर टुकड़ो मे सच्चाइ की बात होती हैं🌺

Sunday 10 July 2016

छलियें बनाम साधारण जन:
एक गीत,


धूप को धूप न कहें
रुप को रुप न कहें
बेहयाइ को सुन्दर बना दे
चुल्लु को समंदर कहें

बन्दगी मतलब की करें
सच को कहने से डरें
आखं से अन्धे बने रहें
चलने वाले को ठोकर लगा दे

मानव मन ढूंढता है भरोसे
तोड़ने वाले है बहरुपिये
पूजा को न जाना आस्था न पहचाने
बना दिये पावन पथ सियासत के अड्डे

ये दुनिया रहे लहरों के भरोसे
जन न उभरे गृह चिन्ता से
विशाल शक्तिया सुप्त पड़ी
विकृत,स्वकेन्द्रित, मन हुकूमत करें
मसूरी सफर ओ पड़ाव:

सेल्फी से ज्यादा सफर पे ध्यान दो
 बिखरी सुन्दरता हेे निहारो
बाहरी तो है सबके पास
मन की आखों से काम लो🌹🌺🍇🎂💐

: हवाओ पे बादलो का साथ
धरती का आस्मां पे राज
ये मंजर नही मामूली
मन मे समेट लो आज

नजारे ही नही खुश्बुये भी निराली
है हकीकत, नही कोइ फिजां ख्याली
जिन्दगी का गणित फना हो जाता है
जवाब देते हैं, पर्वत बने सवाली

रात को पर्वतो की रानी का रुप और निखरता है
घाटियों मे सितारो काआंचल बिखर जाता है
माथे पर ताज है आलौकिक
खुली आंखों मे सतरंगीं ख्वाब घर कर जाता है

दिल मे बस कर नींद को गहरा कर जाता है
जो कहीं न मिले वो सूकून यहां मिल जाता है
लगता है जैसे पू्र्ण हो हर अभिलाषा
गुजरते पलों को अमरत्व काआर्शीवाद दे जाता है

Saturday 9 July 2016

: बहुत से कोने खुदरे हैं अन्दर
जिसकी पैमाइश मुझे पता है
बाहर तो समरुपता है
कयों किसी को हिसाब दिया करु

: अजीब तमाशा है जिन्दगी
ना खुलासा है, ना बन्दगी
जंग जब खुद से हो
लहु पानी की तरह बहता है
दर्द की इन्तहा का भी
एहसास नही रहता है
वो मैदान भी मेरा नही
इस दुनिया का ही दावा रहता है
कौन है जिसने इस दुनिया मे पिरोया
मै भी टूटा माला भी तोड़ कर चला गया
ये इम्तहान फिज़ुूल है या कोइ मायने रखता है
जब अर्थ की लड़ाइ खद की है
तो किसी को क्या साबित करना है
लहरो से पेड़ो तक
जगंलो से घरो तक
हवाओ से दीवारो तक
पलता रहा हू
सदियो का पाप कटता नहि
अंतरतम जाने को वयाकुल प्राणो को
फिर ये दुनियावी जरुरते बाहर धकेलती
बाहर जाते असंयम ओ त्रसना को
अंतर की पुकार का पहरा
चोखट पर खड़े नृसिंह कि तरह
सदैव वध किये जाने को नियत
यही है जिन्दगी न इस पार
न उस पार
इक बूंद है,
कुछ क्षणो का व्यापार
वो झील मे मचलती थी तंरगे,
अब सर्द गहराइ नुमायां होती है,
पत्तो की सरसराहट ओ खामोशी की गुनगुनाहट,
अब टूटे चमन मे सन्नाटे की कराहट,
वो पक्षियों का फड़फड़ाना वो कलरव वो चहचहाहट,
अब बेबस तड़पड़ाहट ओ बेज़ुबां की
अावाज़ होती है
वो गुलाबी शामें वो समंदर की आज़ादी
अब है रिसते बेमुकाम लहु की नाक़ामी
वो भीड़ की रवानी ओ सारे ज़हां का दर्प
अब है घिसटते क़दमोओ खुद की खुदी का दर्द
वो तेरे साथ का छूटना दुनिया की पर्त दर पर्त दिखा गया
पहले ज़िन्दगी के टुटने का डर था,
अब टुकड़ो मै जिन्दगी झलकती है
आखें मन व मस्तिष्क का द्धार हेै
आप किसको राह दें,आप पर है.
वैसे दिल से भी राह दिमाग तक जाती है
अगर आप चाहें,
 तो दिल को धोका खाने से बचा सकते है
अगर आप चाहें,
तो दोनो द्धार बन्द कर सकते है
ये राहे वहां ले जा सकती हैं
जहां आप चाहें,
चाह काअन्त नही,राह का भी,
सासों की ताल टूटने तक
मंजिल मिले ना मिले,
सफर भी मंजिलो का कांरवां है
शब्दों मे दास्तां ब्यां होती है
आंखों मे हो दास्तां की कहानी
उस हमसफर की तलाश न कर
हर आंख मे एक कहानी
हर एक दुनिया है जेहानी
इस जहां से उस जहां का सफर
दो विशाल छोर,
एक छोटी सी डोर, चाह
मन की राहें कहीं नहीं पहुचतीं
अगर चाह कर भी ना चाहें
आखें मन व मस्तिष्क का द्धार हेै
आप किसको राह दें,आप पर है.
वैसे दिल से भी राह दिमाग तक जाती है
अगर आप चाहें,
 तो दिल को धोका खाने से बचा सकते है
अगर आप चाहें,
तो दोनो द्धार बन्द कर सकते है
ये राहे वहां ले जा सकती हैं
जहां आप चाहें,
चाह काअन्त नही,राह का भी,
सासों की ताल टूटने तक
मंजिल मिले ना मिले,
सफर भी मंजिलो का कांरवां है
शब्दों मे दास्तां ब्यां होती है
आंखों मे हो दास्तां की कहानी
उस हमसफर की तलाश न कर
हर आंख मे एक कहानी
हर एक दुनिया है जेहानी
इस जहां से उस जहां का सफर
दो विशाल छोर,
एक छोटी सी डोर, चाह
मन की राहें कहीं नहीं पहुचतीं
अगर चाह कर भी ना चाहें
जख्मों से नज़र मिली तो
उसका दिल भर आया
हर धड़कन की सदा थी
मै तो तुझसे  जु़दा नही
फिर क्यो नज़रे चुराता है सदा
जबकि मेरे बिना तू कुछ नही
सदाकत है तेरी गर अपना ले
ओर कोइ मरहम दरकार नही
वो राग जिस पर तूने गीत रचा
मेरे सांसो की पुकार थी
अनसुनी न हो कभी
अजनबी न हों कभी
हो न गुमशुदा तेरी लय
मेरी आस बने रागिनी तेरी
: Lucky are those who got things worth accepting,
Having acceptance one can become Lucky😊
Smile with tears reflects Rainbow,☄
by going beyond⭐
seeing the whole
one can accept the tiny,🚶
acceptance of darkness
enlightens the heart🌞
without the light
things become shiny😃
[14/05 19:29] Rajiv Jain: हिन्दी मे
प्रकृति के  विराट दर्शन::

😊हसी मे तेरी होता जग विकसित
आंखो मे गहराइयां अनंत
आंचल की महकती क्यारियां
तेरा सुरभित दिग् दिग् न्त
संकेतो की प्रभा संचरित
दिप्त आभा का विस्तार
जीवन मे जीवन का मन्थन
तेरे लावण्य की झंकार
स्मित प्रभासित दंत पंक्तिया गिरि की
ललाट उज्जवल प्रकाशित कुमकुंम
परिचत मृदु सांसो की ब्यार
केश गुंझल व्यापत काली घटाओ से
ओस अमृत की फुआर,
नयनो की रिमझिम इस ओर
सतरगीं इन्द्रधनुष मे मुस्कान उस ओर,
आंसू ओर मुस्कान मे हो गया
विराट का साक्षात्कार😊🌹
ट्रेन भागती हुइ रेल
सब कुछ पीछे छोड़ती ट्रेन
मैदान,अबूझे जंगल,हरियाली
पल पल पीछे छूटते पहाड़ ओ नदिया
घनी बस्तियां ओ विरल झोपड़िया
जीवन गति से भागती रेल
किसे समझूं किसे याद रखू
गुजर गये बहुत से स्टेशन ओ मुकाम
बहुत से अनजाने चेहरे बन गये पहचाने
कइ पहचाने गुम हुये, कुछ बने अनजाने
इस राह मे कोन कब क्या ओ कहां रहेगा
कोन तय करे ये कहानी
रेल मे है जीवन की रवानी
सबको लेकर,सबको पहुचांये
कभी समय पर कभी देर करे भटकाये
कभी हज़ारों मील तय करे जल्द
कभी छोटा सफर भी देर लगाये
जायके जिन्दगी के मिल जायें
कभी साधारण स्वाद को तरस जाये
बहुत गलतिया भी कोइ करे
दूसरे सबको कइ बार सहन कर जाये
एसा मेला जिन्दगी का जिन्दगी मे
जहां  कथायें  अनेक एक सगींत मे
मन विचलन ओ थिरता रखता जायें
अपने सीट को छोड़कर कोन जाये
स्टेशन आने पर सब यहीं एसा ही रह जाये
रहे अभी है खड़े,नही रिजर्व करा पाये
बैठेगें या गुजरेंगे यूही कौन जान पाये
कौन जान पाये
: कल कानपुर से लौटते वक्त ट्रेन मे.
यू ही🙌
देखते हैं बहुत कुछ
द्ष्टि मे आता है कम
बहुत तेजी से बदलते है पल
पर जीवन पला है कम
जीना स्थगित सा है
सामने से गुजर जाता है सब
साथ तो पर निभाना है
रोज मुस्कुराना है
ये दर्द ना बिखर जाये राहो में
इसे धुयें मे उड़ा जाना है
धुआं जो न दिखे
आग जो न बुझे
जिन्दगी तो जलाती है
पर जो इसके पार है
उसका भी क्या ठिकाना है
वजू़द नही वजूद की वजह तलाश की
हाथ खाली न थे
न ही खाली हाथ जाना है
सब हिसाब लगाकर देखो
सब हिसाब हैं कम
रुह के कर्ज रुह से अदा कर जाना है
खुशबु फना हो जब भी
रुप लुभाने लगे
खुद अपनी आखें खोने का सामां हो
जमाना गुमाने लगे
तब अधेरों मे  पहचान ये खुशबु
जिन्दगी की जान है ये खुशबु
यही तो असली आकार बनाती है
तुझे इस जमीं पे आसमां दिखाती है
न हैरां हो न गुम जाये कहीं
हमेशा हरवक्त तेरे पास है खुशबु
तेरी तलाश ओ तेरी पहचान है खुशबु
सिमटती हुइ जज़्बो मे मिलेगी रु-ब-रु
🌹🙏
तुझे पहचान नही पाया
ए जिन्दगी,
तेरी कोइ कहानी तो होगी
उसका थीम समझना है
तेरी कोइ लय तो होगी
उसका राग मननना है
 तस्वीर का  तसव्वुर तो होगा
उस कलाकार की नज़र दे
या मुझे तू बक्श दे|
तुझसे परे खुद को खोना हेै
शायद एैसे ही मरक़ज़ को जाना है

Sunday 10 April 2016

ओझल पूर्णता



अपने अपने जहां में बसे

अपनी अपनी ज़मीन पर खड़े

वज़ूद  की तलाश मे सफर किये

ताउम्र इस एहसास मे सज़दा किये

कि ये वो मंज़िल तो नही

कि जहा सफर खत्म हो...

आरजुएं मिटे और रूह का क़र्ज़ अदा हो

तेरे जहां मे वो जहां कहां ढूंढे

कि कर्ज़दार खुद के फलक पर मुकम्मल हो। 

Saturday 9 April 2016



फरेब  को  दिल मे बसाया तो दहशत है

फरेब को दिल से हटाया तो जिंदगी है

जिंदगी जो जन्म की पहली मुस्कराहट है

मुस्कराहट जो दर्द को भूल जाने ,पी जाने 

स्वीकार  करने की अभिव्यक्ति है

जो फरेब से अनजान है

जिंदगी की पहचान है

बेशक जिंदगी इक फरेब है