Sunday 10 April 2016

ओझल पूर्णता



अपने अपने जहां में बसे

अपनी अपनी ज़मीन पर खड़े

वज़ूद  की तलाश मे सफर किये

ताउम्र इस एहसास मे सज़दा किये

कि ये वो मंज़िल तो नही

कि जहा सफर खत्म हो...

आरजुएं मिटे और रूह का क़र्ज़ अदा हो

तेरे जहां मे वो जहां कहां ढूंढे

कि कर्ज़दार खुद के फलक पर मुकम्मल हो। 

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