Monday 6 April 2020

अपने अपने जहां में बसे

अपनी अपनी ज़मीन पर खड़े

अपना फलक सजाये

वज़ूद  की तलाश मे सफर किये

ताउम्र इस एहसास मे सज़दा किये

कि ये वो मंज़िल तो नही

कि जहा सफर खत्म हो...

आरजुएं मिटे और रूह का क़र्ज़ अदा हो

तेरे जहां मे वो जहां कहां ढूंढे

कि कर्ज़दार खुदी के फलक पर मुकम्मल हो।
Rajiv jinraj

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