अपने अपने जहां में बसे
अपनी अपनी ज़मीन पर खड़े
अपना फलक सजाये
वज़ूद की तलाश मे सफर किये
ताउम्र इस एहसास मे सज़दा किये
कि ये वो मंज़िल तो नही
कि जहा सफर खत्म हो...
आरजुएं मिटे और रूह का क़र्ज़ अदा हो
तेरे जहां मे वो जहां कहां ढूंढे
कि कर्ज़दार खुदी के फलक पर मुकम्मल हो।
Rajiv jinraj
अपनी अपनी ज़मीन पर खड़े
अपना फलक सजाये
वज़ूद की तलाश मे सफर किये
ताउम्र इस एहसास मे सज़दा किये
कि ये वो मंज़िल तो नही
कि जहा सफर खत्म हो...
आरजुएं मिटे और रूह का क़र्ज़ अदा हो
तेरे जहां मे वो जहां कहां ढूंढे
कि कर्ज़दार खुदी के फलक पर मुकम्मल हो।
Rajiv jinraj
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