Wednesday 18 March 2015

हिसाब किताब

कोई ऐसा गणित नहीं
जो जिंदगी का हासिल बता सके
कोई ऐसा लेखपाल नहीं
जो आउटस्टैंडिंग या
बैलेंस बता सके
हिसाब जरूर है, लेखा पूर्ण है
कोई ऐसा मनुष्य नहीं
जो इसे जुठला सके
जिंदगी निरंतर किसी ऋण का
भुगतान है
दुःख इस ऋण मुक्ति की ओर
बल्क पेमेंट है
सुख पूर्व में किये सद्कार्यों
के क्रेडिट का आहरण है
एंट्री मेरे अपने हाथों है
मेरी कलम का नाम विवेक है।


1 comment:

  1. करो कर्म ऐसा
    दुआऐं दे कोई दिलसे
    बने जिंदगी का हासिल

    कर्ज ऐसा न लेना
    लगे कई जिंदगी चुकाने में।

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