Wednesday 12 March 2014



 अर्पण तुम्हे यह हार है

 सत्य पर जीवन निसार  है

कल्याण जगत की पुकार है

ये मेरी हार नहीं पर मुझे स्वीकार है

ये जीवन की सुंदरता का श्रृंगार है

 

1 comment:

  1. यह हार हार बना
    शोभा बढ़ा रहा गले की
    विष भी कभी बना
    शोभा किसी गले की।

    हार का आहार बनाये
    हर हार के बाद
    जीत की आदत बनाये।

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