Wednesday 17 June 2020

जिस जिन्दगी की बस मे मै चढ़ा ठीक से खड़े होने की जगह न थी एक पांव टिका था कहीं दूसरे की खबर न थी दर्द के टुकड़े पेवस्त थे नज़ारो मे मरहम दूर तक नदारद रहे नसीहतो कि मगर कमी न थी हम समझ कर भी खामोश रहे नासमझ शोर मचाते रहे जो रास्ते गुजारते रहे जिन्दगी मेरी पत्थर खंगालने मे उन्ही पर कुछ लोग अपने रहनुमा तराश कर आसानी से मंजिल नापते रहे हर कदम ,कायदा या रवायतो की दुहाई मिलती रही कुछ पाबंद रहे कुछ सहूलियत से पैबंद लगाते रहे छूटता नही सफर न बदले रास्ते इसी कारवां मे हम मकसद तलाशते रहे तरक्की शुदा ढांचे पर हावी रहे तरक्की पसंद आदतन इसे सवांरते रहे बस चल रही थी कुछ के नसीबो करम से उन्को ही पहले मौके पर वो उतारते रहे मंजिल न सफर की मजबूरी थी कोई हम तो हर बार कदमो को उनका वजूद देते रहे

Tuesday 14 April 2020


Love is forever, From Hearts, in Hearts, By Hearts, Relation made Through Blood, Relation moves in Blood, If no oxygen given by heart to blood..... Relation dies.

Monday 6 April 2020

It was told that Religion is an Opium Still We follow it We give preference to our Religion over our 'Dharma' Because since childhood we are used to it In childhood virtually it was imposed,when no consciousness was there. There should be freedom to choose Religion according to individual's urge of his/her 'Dharma' after attaining consciousness say at the age of 21. Suitable amendment to be made in constitution that no religion by birth it is only after attaining the age of 21.#
अपने अपने जहां में बसे

अपनी अपनी ज़मीन पर खड़े

अपना फलक सजाये

वज़ूद  की तलाश मे सफर किये

ताउम्र इस एहसास मे सज़दा किये

कि ये वो मंज़िल तो नही

कि जहा सफर खत्म हो...

आरजुएं मिटे और रूह का क़र्ज़ अदा हो

तेरे जहां मे वो जहां कहां ढूंढे

कि कर्ज़दार खुदी के फलक पर मुकम्मल हो।
Rajiv jinraj

Wednesday 28 December 2016


जिन्दगी ए जिन्दगी

उसमे और कुछ भावुक बुद्धिजीवि लोगो की सोच मे
इतना ही फर्क था
कि वो सोचते थे
कि लोग जीते कैसे हैं
ओर वो सोचता था कि
लोग जीते क्यो हैं
' कैसे' की तरफ उसका द्य्यान नही था
क्योकि सुधार मुमकिन न था
क्योकि सुधार लोकतंत्र चुनता है
' क्यो' की तरफ उनका भाव न था
क्योकि जवाबो के बिना सवाल कैसे
वो जिन्दगी की कहानी कहते रहे
वो जिन्दगी ढूंढता रहा
वो जी रहे थे,
 जब वो सोचता  है   कि
मौत कैसी होनी चाहिये,
अक्सआता है।
हर हाल मै जिन्दादिल,
. . . . .
पर उन्हे मौत से नफरत है। ।
. . . . .

Sunday 7 August 2016

अात्मा से वार्ता.
जारी.
जन्म दिन की शुभकामनाओं के साथ🌹💐🌺🌹💐🐾❤🏂

तेरे द्वारा  प्राणजनित भव सागर,
कालचक्र मे नौका की पतवार
हर लहर का तुझसे अकंन
हर भंवर से तेरा पार
प्राण जनित भव सागर मे
मेरी नौका कि पतवार,
तेरे दर्शन दीनो मे है
हर इमां तेराआकार
तुझ को झुठलाते  है अहं अक्सर
अोोर निर्लिप्त् रहता तेराआवाहन,
किस का हाथ पकड़ कर ?
सम्पूर्ण जीवन यात्रा मे अविचल,
स्वयं मे पूर्ण भव का गान
कण मे गिरि का मान
क्षण मे पूर्ण युग का भान,
एसा तेरा साक्षात्कार,
रहे विभूषित सदा
विनिर्दष्ट संकेतो का संचार
हर दिन  जन्म दिन अनुभव हो
हर पल जुड़े हो तुझसे तार🙏🌹💐❤
आत्मा तू कहां है
मुझे हमेशा तेरी याद रहती है
अपार दुखों मे भी एक अनदेखा सहारा रहता है
तेरे दर्पण मे सदैव खुद को सवांरा करता हु
फिर भी क्यों धूमिल सा रहता हूं
ये कर्मो की धूल है या
मै तुझको न समझा
मेरी समझ की धूल?
सदैव तेरेै एहसास मै जिया
मैने खुद को तेरी दीवारों मे
बन्दी किया,
न मिला सिला बन्दगी का
ना मिला दीदार जिन्दगी का
ये मेरी समझ की धूल है
या मेरी कोइ भूल है
 तेरे साथ मेरा रहता सदा व्यवहार है
पर फिर भी क्यों रहती सदा दीवार है?