Jeevan ki khoj
Wednesday, 4 December 2024
जीवन इक पल
जन्म होते ही शिशु का रुदन तत्पश्चात मुस्कान व अधरो को खोल खिलखिलाहट इस अन्तराल मे यह दैवीय अंतर्ज्ञान कि जीवन रुपी पीढ़ा की वहनियता का अन्य विकल्प नही। यह ज्ञान यात्रा का आरम्भ से अन्तिम श्वास तक मात्र एक पल का विस्तार। सम्पूर्ण जीवन को समाये।
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