एक ख्याल को सँवार कर
तेरे बुत को निखारा मैंने
अब दुनिया की नज़रो मे
बुतपरस्त हुए जाते हैं
आइना अंदाज़ की ज़ुबां नहीं होता
ज़ुबां है दिल मे उसे बंद रखे जाते हैं
हम अश्क बहा कर भी तपिशे लहू से परेशां
पानी मर गया जिनका वो खून किये जाते है
बोलियां गुमराह हें आवाज़ो की मंज़िल नहीं
कहने वाले बहुत सुनने वाले गुम हुए जाते हैं
तेरे बुत को निखारा मैंने
अब दुनिया की नज़रो मे
बुतपरस्त हुए जाते हैं
आइना अंदाज़ की ज़ुबां नहीं होता
ज़ुबां है दिल मे उसे बंद रखे जाते हैं
हम अश्क बहा कर भी तपिशे लहू से परेशां
पानी मर गया जिनका वो खून किये जाते है
बोलियां गुमराह हें आवाज़ो की मंज़िल नहीं
कहने वाले बहुत सुनने वाले गुम हुए जाते हैं
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