Sunday 10 July 2016

मसूरी सफर ओ पड़ाव:

सेल्फी से ज्यादा सफर पे ध्यान दो
 बिखरी सुन्दरता हेे निहारो
बाहरी तो है सबके पास
मन की आखों से काम लो🌹🌺🍇🎂💐

: हवाओ पे बादलो का साथ
धरती का आस्मां पे राज
ये मंजर नही मामूली
मन मे समेट लो आज

नजारे ही नही खुश्बुये भी निराली
है हकीकत, नही कोइ फिजां ख्याली
जिन्दगी का गणित फना हो जाता है
जवाब देते हैं, पर्वत बने सवाली

रात को पर्वतो की रानी का रुप और निखरता है
घाटियों मे सितारो काआंचल बिखर जाता है
माथे पर ताज है आलौकिक
खुली आंखों मे सतरंगीं ख्वाब घर कर जाता है

दिल मे बस कर नींद को गहरा कर जाता है
जो कहीं न मिले वो सूकून यहां मिल जाता है
लगता है जैसे पू्र्ण हो हर अभिलाषा
गुजरते पलों को अमरत्व काआर्शीवाद दे जाता है

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