Saturday 9 July 2016

खुशबु फना हो जब भी
रुप लुभाने लगे
खुद अपनी आखें खोने का सामां हो
जमाना गुमाने लगे
तब अधेरों मे  पहचान ये खुशबु
जिन्दगी की जान है ये खुशबु
यही तो असली आकार बनाती है
तुझे इस जमीं पे आसमां दिखाती है
न हैरां हो न गुम जाये कहीं
हमेशा हरवक्त तेरे पास है खुशबु
तेरी तलाश ओ तेरी पहचान है खुशबु
सिमटती हुइ जज़्बो मे मिलेगी रु-ब-रु
🌹🙏

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