Saturday 9 July 2016

आखें मन व मस्तिष्क का द्धार हेै
आप किसको राह दें,आप पर है.
वैसे दिल से भी राह दिमाग तक जाती है
अगर आप चाहें,
 तो दिल को धोका खाने से बचा सकते है
अगर आप चाहें,
तो दोनो द्धार बन्द कर सकते है
ये राहे वहां ले जा सकती हैं
जहां आप चाहें,
चाह काअन्त नही,राह का भी,
सासों की ताल टूटने तक
मंजिल मिले ना मिले,
सफर भी मंजिलो का कांरवां है
शब्दों मे दास्तां ब्यां होती है
आंखों मे हो दास्तां की कहानी
उस हमसफर की तलाश न कर
हर आंख मे एक कहानी
हर एक दुनिया है जेहानी
इस जहां से उस जहां का सफर
दो विशाल छोर,
एक छोटी सी डोर, चाह
मन की राहें कहीं नहीं पहुचतीं
अगर चाह कर भी ना चाहें

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